वैसे कौन से कुछ उदाहरण हैं, जब बंदी प्रत्यक्षीकरण (‘ह्बीस कॉर्पस’) याचिका दायर की जा सकती है?
यहां ऐसी परिस्थितियों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं जिसमें एक व्यक्ति बंदी प्रत्यक्षीकरण (हबीस कॉर्पस) याचिका दायर कर सकता है:
- जब एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, तो गिरफ्तारी कानून यह बताता है कि 24 घंटे के भीतर उस व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। पुलिस, हर गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना इस लिए जरूरी है कि जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उस व्यक्ति की गिरफ्तारी के समुचित कानूनी आधार हैं। यदि पुलिस उस व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष लाने में असफल रहती है तो यह हिरासत अवैध मानी जायेगी। ऐसे मामले में, गिरफ्तार व्यक्ति, या गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार / दोस्त उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण (ह्बीस कॉर्पस) याचिका दायर कर सकते हैं।
- कुछ विशेष हिरासत कानूनों के तहत, जैसे सशस्त्र बलों (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 एक व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए बिना 3 महीने तक हिरासत में रक्खा जा सकता है। ऐसे हिरासत कानूनों में हिरासत की लंबी अवधि होती है क्योंकि वे संवेदनशील क्षेत्रों के अपराधों से संबंधित हैं। इन हिरासत कानूनों में व्यापक आपराधिक प्रावधान हैं और इस प्रकार, ऐसे मामलों में इसके दुरुपयोग की संभावना अधिक है। बंदी प्रत्यक्षीकरण
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