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वसीयत एक कानूनी दस्तावेज़ है जिसके माध्यम से एक व्यक्ति यह तय करता है कि उसके मरणोंपरांत उसकी संपत्ति और अन्य आस्तियां कैसे वितरित, आवंटित और खर्च की जाएंगी। यह उस व्यक्ति द्वारा बनाया जा सकता है जिसकी वसीयत बनायी जा रही है (वसीयतकर्ता) या एक वकील द्वारा वसीयतकर्ता के निर्देश पर।
दस्तावेज़ में यह साफ लिखा होना चाहिए कि यह वसीयतकर्ता द्वारा निष्पादित अंतिम वसीयत है और वसीयत के साथ संलग्न अनुसूची में, वसीयतकर्ता के स्वामित्व वाली चल व अचल दोनों, संपत्तियां व आस्तियां सूचीबद्ध होनी चाहिए। वसीयत में परिवार के सदस्यों या अन्य व्यक्तियों का विवरण शामिल होना चाहिए जिनके बीच संपत्ति वितरित की जानी है। वसीयत-प्रबंधक का नाम, उसकी उम्र और पते के विवरण के साथ, वसीयतकर्ता के साथ उसके संबंध का उल्लेख किया जाना चाहिए। ‘स्वेच्छा और स्वतंत्र इरादे और स्वस्थ मनस्थिति के साथ’ का कथन अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए। वसीयतकर्ता की इच्छानुसार अलग-अलग व्यक्तियों को उत्तराधिकार में दी जाने वाली संपत्ति का मिलान संलग्न अनुसूची में उस संपत्ति के सामने उल्लिखित मद संख्या से किया जाना चाहिए। यह उल्लेख भी किया जाना चाहिए कि यह वसीयत, वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद लागू होगी और उससे पहले वसीयतकर्ता की इच्छा के अनुसार किसी भी समय निरस्त की/ बदली जा सकती है। अंत में, वसीयत के निष्पादन की तारीख और स्थान के साथ-साथ वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर निर्दिष्ट होने चाहिए।
वसीयत की वैधता के लिए
वसीयतकर्ता को वसीयत पर हस्ताक्षर या अपना पहचान चिह्न लगाना चाहिए, उदाहरण के लिए अंगूठे का निशान।
वसीयत को दो या दो से अधिक गवाहों के द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए और इन गवाहों की उपस्थिति में ही वसीयतकर्ता द्वारा दस्तावेज़ पर अपने हस्ताक्षर करने होंगे या अपना पहचान चिह्न लगाना होगा। प्रत्येक गवाह को वसीयतकर्ता की उपस्थिति में वसीयत पर हस्ताक्षर करना चाहिए।
गवाह वसीयत के तहत लाभार्थी नहीं होने चाहिए।
वसीयत एक ऐसे व्यक्ति द्वारा बनायी जा सकती है जो 18 वर्ष से अधिक आयु का हो, और स्वस्थ चित्त का हो।
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