पुलिस को आपकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद, जितनी जल्दी हो सके, मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने की ज़रूरत है। वे आपको 24 घंटे से अधिक समय तक गिरफ्तार नहीं रख सकते हैं � इसमें न्यायालय ले जाने का समय शामिल नहीं है। पुलिस अधिकारी, मजिस्ट्रेट को, ‘केस डायरी’ की प्रविष्टियों (एन्ट्रीज़) की एक प्रतिलिपि भी देनी होगी। केस डायरी एक अधिकारी द्वारा रखी गई दैनिक डायरी है जो जांच में होने वाली सभी घटनाओं का विवरण देती है। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे, गिरफ्तारी ज्ञापन सहित आपकी गिरफ्तारी से संबंधित सभी दस्तावेजों के साथ, आपकी गिरफ्तारी के कारणों का एक ‘जाँच सूचि’ (‘चेकलिस्ट’) भी मजिस्ट्रेट को दें।
मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए जाने के बाद, मजिस्ट्रेट आपको छोड़ सकता है या आपको जमानत दे सकता है। आपके वकील को आपकी रिहाई की मांग करनी चाहिए यदि पुलिस केवल आपको ‘पेशी की सूचना’ (नोटिस ऑफ अप्पियरेंस) जारी करना चाहता है और वास्तव में आपको गिरफ्तार करना नहीं चाहता है। पुलिस केवल मजिस्ट्रेट की अनुमति के साथ ही आपको 24 घंटे से अधिक रोके रख सकती है। वे आपकी ‘पुलिस हिरासत’ या ‘न्यायिक हिरासत’ की याचना कर सकते हैं। पुलिस हिरासत, गिरफ्तारी की तारीख से केवल 15 दिनों तक के लिये ही हो सकता है। इसका मतलब यह है कि आपको पुलिस स्टेशन पर लॉक-अप के अंदर, अधिकतम चौदह दिनों के लिए रक्खा जा सकता है।
अगर इतने दिन में पुलिस आरोप पत्र दर्ज नहीं कर पाती है और अगर आप पर ऐसे अपराध का संदेह है, जिसके चलते आपको 10 साल से अधिक कारावास की सजा हो सकती है तो आपको अधिकतम 90 दिनों की न्यायिक हिरासत में, और अन्य सभी प्रकार के अपराधों के लिए आपको अधिकतम 60 दिन की न्यायिक हिरासत में रक्खा जा सकता है।
न्यायिक हिरासत में भी आपको एक समय में चौदह दिनों से ज्यादा समय के लिये नहीं भेजा जा सकता है। आपको प्रत्येक चौदह दिन की अवधि के बाद, मजिस्ट्रेट के समक्ष लाया जाएगा। 60 या 90 दिनों की अवधि के बाद, आपको जमानत पर रिहा होने का अधिकार है।
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