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मृतक के शव पर उसके परिजनों का पूरा अधिकार है। फीस के भुगतान में देरी या किसी अन्य कारण से इसे लंबित नहीं किया जा सकता है। अस्पताल या डॉक्टर द्वारा प्रमाण पत्र देने से इनकार करना इस अधिकार का उल्लंघन है और निवारण के लिए या तो अस्पताल के शिकायत कार्यालय में शिकायत की जा सकती है या किसी डॉक्टर या अस्पताल प्रशासन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग के लिए राज्य चिकित्सा परिषदों में शिकायत की जा सकती है। यदि डॉक्टर या अस्पताल आपराधिक आचरण में लिप्त है, प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है और शिकायत दर्ज करने के लिए पुलिस को बुलाया जा सकता है। इसके अलावा, भुगतान न करने पर शवों को नहीं छोड़ने वाले अस्पतालों का यह व्यवहार निषिद्ध है और ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम’ के तहत आवश्यक आदेश जारी किए गए हैं और जिला प्रशासन ऐसे अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है। चूंकि अंतिम संस्कार, मृत्यु के पंजीकरण और अन्य कानूनी मामलों के लिए एक अनंतिम मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है, सो परिवारों के पास ऐसा प्रमाण पत्र होना ज़रूरी है और इसमें देरी करना महामारी के समय में मानवता के खिलाफ अपराध है।
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