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अंतर-धार्मिक विवाह के पंजीकरण हेतु न्याय गाइड

By mayank | गाइड | 0 comment | 8 फ़रवरी, 2021 | 0

This post is also available in: English (अंग्रेजी) ಕನ್ನಡ (कन्नड़)

गाइड डाउनलोड करें

यह गाइड आपकी मदद कैसे कर सकती है?

यदि आप अंतर–धार्मिक या अंतर–धार्मिक नागरिक विवाह करना चाहते हैं तो न्याय गाइड आपको अंतर–धार्मिक विवाह से संबंधित सभी प्रक्रियाओं की जानकारी देता है। विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत, विभिन्न धर्मों से संबंधित दो लोग अपने धर्म को परिवर्तित किए बिना विवाह कर सकते हैं। यह गाइड अंतर–धार्मिक (विशेष) विवाह करने, विवाह की सूचना देने और विवाह प्रमाणपत्र प्राप्त करने के कानूनी और प्रक्रियात्मक पहलुओं को संक्षेप में बताती है।

इस गाइड में किन कानूनों पर चर्चा की गई है?

न्याय गाइड, अंतर–धार्मिक विवाह हेतु विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के बारे में बताता है। इस गाइड में केवल विशेष विवाहअधिनियम पर आधारित सामान्य कानूनों के बारे में चर्चा की गई है, और आपको आपकी स्थिति अनुसार अधिक विस्तृत जानकारी के लिए राज्य–विशेष विशेष विवाह नियमों और प्रक्रियाओं को जानना होगा।

प्रक्रिया संबंधी जानकारियां

आवेदन करने से पहले ज़रूरी बातें

विशेष विवाह कानून के तहत कौन शादी कर सकता है?

कुछ शर्तें पूरी होने के बाद धर्म से परे, कोई भी दो लोग विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी कर सकते हैं। हालांकि, यह अधिनियम केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच शादी का प्रावधान करता है, और अभी तक समान लिंग वाले जोड़े और ट्रांसजेंडर लोगों को कवर करने के लिए इसका विस्तार नहीं किया गया है।

हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई, जिसमें यह कहा गया कि विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) लिंग पहचान और यौन अभिविन्यास से परे सभी जोड़ों पर लागू होना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह लेसबियन, समलैंगिक व्यक्ति, बाईसैक्सुअल और ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) समुदाय के सदस्यों और कार्यकर्ताओं अभिजीत अय्यर मित्रा, गोपी शंकर एम., गीति थडानी और जी. ओवरासी द्वारा दायर याचिका पर जवाब दें। इस पर अपडेट के लिए न्याय डेली को फॉलो करें।

विशेष विवाह कानून के तहत कौन शादी करने के योग्य है?

यदि आप इस कानून के तहत शादी करना चाहते हैं, तो शादी के समय आपको निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी चाहिए:

  • सिंगल (एकल) या तलाकशुदा। अगर आप शादीशुदा हैं और आपने अभी तक अपने पूर्व जीवनसाथी से तलाक नहीं लिया है तो आप अन्य व्यक्ति से शादी नहीं कर सकते।
  • शादी की सहमति देने के लिए आप सक्षम होने चाहिए।
  • शादी के योग्य। इसका मतलब है कि आप किसी भी मानसिक विकार से पीड़ित न हों, जो आपको बच्चे पैदा करने में अक्षम बनाए।
  • विवाह के लिए योग्य आयु का होना। शादी के लिए आपकी आयु कम से कम इक्कीस वर्ष (यदि आप एक पुरुष हैं), या अठारह वर्ष (यदि आप एक महिला हैं) होनी चाहिए।
  • आपको एक ऐसे रिश्ते में होना चाहिए, जो कानून द्वारा निषिद्ध नहीं है। उदाहरण के लिए, आप अपने भाई, बहन, चाची आदि से विवाह नहीं कर सकते। आप यहां निषिद्ध संबंधों की सूची देख सकते हैं। कुछ मामलों में, आपके संबंध का, कानून द्वारा निषिद्ध होने के बावजूद, आपके रीति–रिवाज़ों में छूट के कारण आप उस व्यक्ति के साथ शादी कर सकते हैं। इस मामले में, आप शादी कर सकते हैं क्योंकि आपके रीति–रिवाज आपको ऐसा करने की अनुमति देते हैं।

आप अंतर–धार्मिक (विशेष) विवाह को कहां पंजीकृत करा सकते हैं?

विशेष विवाह को पंजीकृत करने के लिए, आप, आपके जिले में मौजूद विवाह अधिकारी के कार्यालय जा सकते हैं।

अंतर-धार्मिक (विशेष) विवाह के महत्वपूर्ण चरण

विवाह का नोटिस देना

यदि आप विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करना चाहते हैं, तो आपको विवाह का लिखित नोटिस देना होगा। नोटिस उस जिले के विवाह अधिकारी को भेजना होगा, जिसमें आप या आपके भावी जीवनसाथी रहते हैं। आप अपने जिले के विवाह अधिकारी को लिखित नोटिस तभी भेज सकते हैं, जब आपको उस जिले में रहते हुए कम से कम 30 दिन से ऊपर हो चुके हैं।शादी के पंजीकरण के लिए आपको निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे।

आवश्यक दस्तावेज राज्य / केंद्र शासित प्रदेश के अनुसार अलग–अलग हो सकते हैं, यहां उन दस्तावेजों की एक सामान्य सूची दी गई है, जिनकी आपको आवश्यकता हो सकती है:

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विवाह पंजीकरण के लिए दस्तावेजों की सामान्य सूची

  • हस्ताक्षरित विवाह आवेदन पत्र की कई प्रतियां (कॉपी)
  • आयु का प्रमाण (जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, आदि)
  • पते का प्रमाण (राशन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी कार्ड, आदि)
  • फोटो पहचान प्रमाण (पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, आदि)
  • वर–वधु की पासपोर्ट साइज तस्वीरें

विवाह अधिकारी को नोटिस देने की तिथि से तीन महीने के भीतर विवाह किया जाना चाहिए, वरना यह नोटिस अमान्य हो जाएगा। उसके बाद, कोई भी विवाह अधिकारी तब तक शादी का संचालन नहीं करेगा, जब तक आप एक नया नोटिस नहीं देते।

नोटिस का प्रकाशन

विवाह अधिकारी अपने ऑफिस के रिकॉर्ड में यह नोटिस रखेगा और विवाह नोटिस बुक में इसकी एक कॉपी दर्ज करेगा, जिसका निरीक्षण किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी समय पर किया जा सकता है। अधिकारी अपने कार्यालय में नोटिस बोर्ड पर या ऐसी जगह  पर, जहां से नोटिस को आसानी देखा जा सके, नोटिस की एक कॉपी लगाएगा। विवाह के लिए आवेदन करते समय, यदि आप स्थायी रूप से उस जिले में नहीं रहते हैं, जहां आपने नोटिस भेजा है, तो विवाह अधिकारी नोटिस की एक कॉपी उस जिले के विवाह अधिकारी को भेजेगा, जहां आप स्थायी रूप से रह रहे हैं, और वह विवाह अधिकारी अपने कार्यालय में नोटिस बोर्ड पर या ऐसी जगह पर, जहां से नोटिस को आसानी देखा जा सके, नोटिस की एक कॉपी लगाएगा।

विवाह पर आपत्ति

विवाह अधिकारी द्वारा विवाह का नोटिस प्रकाशित करने के बाद, यदि विशेष विवाह अधिनियम के तहत वैध विवाह के लिए किसी भी शर्त का उल्लंघन होता है तो कोई भी व्यक्ति विवाह पर आपत्ति जता सकता है। नोटिस प्रकाशन के तीस दिनों के भीतर आपत्ति जताई जानी चाहिए।

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आपत्ति और पूछताछ

यदि कोई व्यक्ति आपत्ति जताता है, तो विवाह अधिकारी विवाह नोटिस बुक में आपत्ति की प्रकृति दर्ज करेगा, और इसे पढ़कर आपत्ति करने वाले व्यक्ति को सुनाएगा। आपत्ति करने वाले व्यक्ति या उनकी ओर से किसी व्यक्ति को रिकॉर्ड पर हस्ताक्षर करना होगा।

यदि कोई आपत्ति जताई जाती है, तो विवाह अधिकारी तब तक विवाह नहीं कराएगा जब तक कि आपत्ति की जांच पूरी नहीं होजाती और यह आश्वस्त नहीं कर लिया जाता कि विवाह किसी शर्त के उल्लंघन के बिना हो रहा है और आयोजित किया जा सकता है और पंजीकृत किया जा सकता है। अधिकारी इस मामले की पूरी जांच करेगा और आपत्ति के तीस दिनों के भीतर अपना निर्णय देगा।

आपत्ति की जांच करते हुए, विवाह अधिकारी के पास गवाहों को बुलाने और जांच करने, दस्तावेजों की मांग आदि के लिए एक सिविल कोर्ट जैसी न्यायिक शक्तियां होती हैं। अधिकारी आवश्यक साक्ष्य देने के लिए जिले के अंदर किसी भी व्यक्ति को सम्मन भेज सकता है।

यदि अधिकारी का यह मानना ​​है कि आपत्ति अनुचित है और सच्ची नहीं है, तो वे आपत्ति करने वाले व्यक्ति पर एक हजार रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है, और शादी करने वाले जोड़े को मुआवजा दे सकता है।

आपत्ति बरकरार रखना

अगर विवाह अधिकारी आपत्ति बरकरार रखता है और शादी कराने से इंकार करता है, तो आप संबंधित डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अपील कर सकते हैं, यानी वह जिला कोर्ट जिस जिले में विवाह अधिकारी का ऑफिस है। अधिकारी के मना करने के तीस दिनों के भीतर आप डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अपील कर सकते हैं और उस कोर्ट को यह न्यायिक अधिकार होगा कि वह आपकी अपील पर अंतिम निर्णय लेगी, और अधिकारी अदालत के फैसले का पालन करेगा।

यदि अदालत के फैसले के तीन महीने के भीतर विवाह नहीं किया जाता है, तो विवाह नोटिस अमान्य हो जाता है, और कोई भी विवाह अधिकारी आपकी शादी नहीं करा सकता और आपको एक नया नोटिस देना होगा। आपत्तियों के उदाहरण, जिन्हें बरकरार रखा गया है

  • दुल्हन पहले से ही शादीशुदा होना
  • दुल्हन की उम्र अठारह वर्ष से कम होना

विवाह करना

विवाह संपन्न होने से पहले, आप जिस व्यक्ति से शादी कर रहे हैं, उसके साथ तीन गवाहों को भी विवाह अधिकारी के सामने एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने होंगे। घोषणा पत्र पर अधिकारी भी हस्ताक्षर करेगा।

आप विवाह अधिकारी के कार्यालय में शादी कर सकते हैं। आप कार्यालय से उचित दूरी के भीतर किसी अन्य स्थान पर शादी करने का विकल्प भी चुन सकते हैं। हालांकि, इसके लिए आपको अतिरिक्त फीस चुकानी होगी। आप किसी भी रूप में या धार्मिक प्रथा के अनुसार शादी कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यह शादी हिंदू धार्मिक समारोह के अनुसार हो सकती है या आप चर्च में भी शादी कर सकते हैं। हालांकि, कोई विशेष विवाह तभी पूरा होता है जब आप और आपके जीवनसाथी अधिकारी और तीन गवाहों के सामने निम्न कथन कहें:

  • “मैं (ए)……., (बी)……., को कानूनी तौर पर मेरी वैध पत्नी (या पति) मानता/मानती हूं“।
  • यह कथन आपकी समझ में आने वाली किसी भी भाषा में दिया जा सकता है।

विवाह का प्रमाण पत्र प्राप्त करना

विवाह आयोजित होने के बाद, विवाह अधिकारी विवाह प्रमाणपत्र पुस्तिका में एक प्रमाणपत्र दर्ज करेगा। आपको, वह व्यक्ति जिसके साथ आप शादी कर रहे हैं, उन्हें, और तीन गवाहों को विवाह प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने होंगे। अधिकारी द्वारा बुक में प्रमाण पत्र दर्ज करने के बाद, यह प्रमाण पत्र विवाह का निर्णायक प्रमाण बन जाता है।

विवाह प्रमाणपत्र विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत विवाह का कानूनी प्रमाण है। यह पुष्टि करता है कि विवाह वैध है और कानून के तहत सभी औपचारिकताओं के साथ पूरा हो चुका है।

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